Chut Chudai ki Kahani :- मैं कमला 43 साल की हूँ और बड़े शहर के पास के एक छोटे से गाँव में रहती हूँ। मैं विधवा हूँ और मेरी दो बेटियाँ हैं। मेरे पति का पाँच साल पहले निधन हो गया था। मेरे पास जो भी संपत्ति है, मैं उसे अपनी बड़ी बहन की मदद से संभालती हूँ। मई के आसपास, मेरी बुआ के एक रिश्तेदार अचानक मेरे घर आए।
वह स्वभाव से बहुत अच्छे हैं और वह हमारी मदद करना चाहते हैं, जैसे मेरे पिता ने बहुत पहले अपनी बुआ की मदद की थी। मुझे खुद पर गर्व है, मैं उनसे कोई मदद नहीं लेना चाहता। उसके बाद से वह महीने में दो बार मेरे घर आते हैं, इस दौरान मैंने देखा है कि उनका इरादा साफ है। वह वास्तव में अच्छे इंसान हैं और उनकी उम्र भी 50 के आसपास है।
वो मुझसे दूरी भी बनाए रखते थे। हम अलग-अलग विषयों पर खूब बातचीत करते थे, वे बहुत दयालु थे, उन्होंने मुझे बहुत सलाह दी और बच्चों की पढ़ाई में मदद की। साल बीतने के बाद मैंने उनसे कोई अश्लीलता नहीं देखी। उन्होंने मेरे बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे देकर मेरी मदद की।
कभी-कभी मुझे लगता है कि यह कैसा आदमी है, जिसमें कोई स्वार्थ नहीं है और नैतिक समर्थन देकर मुझे ऊपर उठाने की कोशिश करता है, जब तक हम करीब आए, तब तक मुझे वह बहुत पसंद आ गया था। सच कहूँ तो मैं उनसे प्यार करने लगी थी, पर वो ऐसा नहीं सोचते थे. मुझे बिना सेक्स के प्यार का एहसास हो रहा है.
उसने अब मेरा नाम बदल कर मुझे सखी बुलाते है. देखिये न अभी तक अपने बारे में आपको बताया नहीं मेरी त्वचा गोरी है, शरीर आकर्षक है, 38-28-38, होंठ चौड़े हैं, हर कोई मुझे चूमना चाहता है, चेहरा गोल, आंखें ग्रे, मुलायम गाल, सबसे महत्वपूर्ण बात है मेरे स्तन बड़े, बहुत मुलायम लेकिन कसे हुए, एक को चूमने और दबाने का मन करे, दूसरी सबसे अच्छी चूत डबल रोटी जैसी और एक चीरा जिस पर कोई बाल नहीं.
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लेकिन वो कभी मेरे शरीर की सुंदरता के बारे में नहीं सोचते थे. कभी-कभी मैं कभी ब्रा नहीं पहनती और केवल गाउन और पेटीकोट ही पहनती ताकि वह मेरा शरीर देख सके, मैं उससे प्यार करती हूं काश वह मेरे साथ कुछ करे लेकिन ओह फिर भी जानती हूं… मैं व्यर्थ हूं.
एक बार वो मेरे घर आये और मैंने उनसे कहा क्या अपनी सखी को कहीं बाहर घुमाने नहीं ले जायेंगे. उन्होंने कहा क्यों नहीं चलिए मैं आपको और बच्चो को गार्डन घुमा लाता हूँ. हम बच्चों के साथ बगीचे में गए, हम रिक्शे में पहली बार एक-दूसरे के बगल में बैठे और हर छलांग पर हम एक-दूसरे के शरीर को छू लेते थे.
उसने बहुत कोशिश की मुझसे थोड़ा दूर बैठने की लेकिन यह नहीं हो सका. मैं बहुत खुश थी और दूर के टूर कार्यक्रम की योजना बनाने लगी। जब वह अगली बार आया तो मैंने रविवार को एक दिन के लिए घुमने जाने का प्रस्ताव रखा, पहले तो उसने मना कर दिया. लेकिन दोनों बच्चों ने उसे घुमने जाने के लिए दबाव डाला.
उसने शर्त रखी कि हम रात तक वापस आ जाएंगे. हमने कहा ठीक है. उसने कहा तो कहाँ चला जाये. मैं खुश थी अगले रविवार को हमने लगभग 150 किमी दूर एक मंदिर घुमने जाने का प्रोग्राम बनाया जहां होटल और धर्मशाला उपलब्ध हैं। हम 12 बजे पहुंचे और बच्चों के साथ बस में यात्रा का आनंद लिया।
प्रारंभिक भ्रमण और दोपहर के भोजन के बाद हम होटल गए, तीसरी मंजिल पर एक कमरा जो दो अलग अलग बिस्तर वाला एक कमरा खाली था. निरीक्षण के बाद उन्होंने कहा कि चलिए हम कहीं और चल के देखते है. मैंने पूछा क्यों. क्योंकि यहाँ केवल एक ही कमरा खाली है, उन्होंने कहा।
लेकिन बच्चो को वो जगह पसंद आई और वो उसी के लिए जिद करने लगे, तो मैंने कहा कोई बात नहीं हम एक ही रूम में एडजस्ट कर लेंगे. हम दो अलग-अलग बिस्तरों वाले कमरे में आ गए. उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही आ रहा हूँ और बाहर चले गए। एक घंटे के बाद वह आया, दोनों बच्चे सिर्फ एक बिस्तर पर सो रहे थे।
मैंने दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर बैठ गयी और उसे मेरे पास बैठने के लिए कहा वो मेरे पास आके बैठ गया. मैंने ब्रा ब्लाउज और साड़ी के साथ पैंटी और पेटीकोट पहना था। कुछ देर बाद मैं चिल्लाई और मेरे ब्लाउज में कुछ चला गया है, और जल्दी जल्दी अपने ब्लाउज खोलने लगी. पर ब्लाउज बहुत टाइट होने के कारण मैं खोल नहीं पा रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तो मैंने उससे चिल्ला कर बोली क्या कर रहे हो देखो ना मेरे ब्लाउज में कुछ घुस गया है खोलो इसे. और वो हडबडा के मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगा. वो दो बटन खोलो तो मैं बोली क्या कर रहे हो चोली फट जाएगी आराम से. और जैसे ही मेरी चोली पूरी खुली मैंने उसके सर को अपने सीने में दबा लिया उसने चूतने की लाख कोशिश की.
वो बोला क्या कर रही हो.
मैं बोली मैं तुम्हे पाना चाहती हूँ.
वो बोला क्या ये करना सही है.
मैं बोली हाँ मेरे सखा अब मुझसे रहा नहीं जाता मुझे चूमो दबाओ और ५ साल के बाद पहली चुदाई कर के मेरी मांग भर दो.
उसने मेरा चेहरा ऊपर किया मेरे होठ कापने लगे मैं कांपते हुए होठों से बोली तुम्हारी सखी वर्ना पागल हो… उसने धीरे से दोनों होठो को दबा दिया फिर प्यार से मेरे रसीले होठों का रसपान करने लगे. उस दौरान अपने होठो को मेरी चूचिया पर रख कर हलके हलके दबाने लगे रसपान और मर्दन पान पा कर मैं धन्य धन्य हो गयी.
थोड़ी देर के बाद मेरी ब्रा को अलग कर के मेरी चुचियों को देखने लगे. ओह सखी कितने खूबसूरत है तुम्हारे ये फल आओ उनका रसपान कर के तुम्हे असली प्यार का मजा दू वो बोले. दोनों चूचियों को मसलने लगे धीरे से बेड पर लिटा कर चुचियों का रस बारी बारी पिने लगे.
मैं मस्त हो चुकी थी की चूमते चूसते दबाते उसने आपने सभी कपडे निकल दिए. मेरी नजर उसके लंड पर पड़ते ही दिल में एक धक्का लगा कितना बड़ा मोटा लंड था पूरी ८ इंच की लम्बाई का. मेरे पति का लंड उसके आगे कुछ भी नहीं था, चूचियों के साथ खेलते खेलते उसने मेरी साड़ी पेटीकोट को निकाल कर फर्श पर डाल दिया सिर्फ पेंटी ही थी.
वो उपर चढ़ कर मेरी चूचिया को दूध पीते बच्चे के तरह चूसने चुसलाने लगे की मेरी चूत में से पहली बार पानी निकल गया. मैं पूरी आवेशित हो गयी उसको लिपटा कर प्यार से उसको चूमने लगी. उसने दोनों टांगो के बिच ऊँगली डाल कर मेरी पेंटी को खींच कर चूत को नंगा कर दिया.
मैं जोर से लिपटकर पुरे बदन को चूमने लगी उसने भी मेरी गरम हुई जवानी को खूब मसला दबाया और फिर मेरी चूत में ऊँगली डाल कर मेरे सपने को सजाने में जुट गया. मैं पूरी तरह से तैयार हो गयी थी. मुझे अपने सीने से लगा के जोर से कस कर कहा सखी तुम्हे वो सुख दूंगा जिसके लिए तुम तड़प रही हो.
बस फिर क्या था मैं आह्ह्ह्हह्ह मर जाउंगी मुझसे अब नहीं रहा जाता… हाय रे… मुझे बस सिर्फ तुम्हारा कसा हुआ लंड चाहिए मुझे अपना लो मुझे… हाय हाय… तब उसने दोनों टांगे फैला कर चूत को देखा लौड़ा तन कर तरह खड़ा हो गया था. उसने झुक कर धीरे धीरे चूत को चूमने लगे. मैं चिल्ला उठी बस करो मेरे प्यार अह्ह्ह्हह्ह हाय.. मा यम्म्मममआयः क्या कर रहे हो…
उसने कुछ न सुना मैंने मेरी टांगो को फैला कर बोला लंड को चूत में डालो ईईईई यह क्या कर रहे हो अब बहुत हुआ मत तरसाओ अपनी सखी को. और अपनी टांगे खुद खोल दी उसने पूरी ५ मिनट तक चूत चूसा मैं गरम हो चुकी थी अब इंतजार करना ठीक नहीं.
मैंने दोनों पावो को ऊपर करके उसे कहा… अब मत रुको मेरी चूत मस्तानी हो गयी है और मैंने लंड को पकड़ कर चूत पर रख दिया. मैं आहे भरने लगी चोद दो मुझे… तब उसने धीरे धीरे चुत में लंड दबाया ओह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाय मेरी चूत चोदो.
उसके लंड ने दूसरा धक्का मारा तो मेरी चूत खुल गयी हयययय अहह अहह अह्ह्ह मर जाउंगी. तब तीसरा और एक दो एक दो करता हुआ लंड अपनी मंज़िल की और आगे बढ़ गया. मैं अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह करती रह गयी सच में उस दिन मेरी चूत कुवारी सी लग रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर अब वो कब मानने वाला था. धक्के पर धक्का धका धका धक फच फच फचा फच कर चूत चोदने लगा मंज़िल को छू ही लिया पूरा लंड. दोनों चूचियों कस कस कर दबाते दबाते जी भर के मस्त से चुदाई का मजा लेने लगे मैं भी मस्त हो चुकी थी.
वो भी पूरी तरह चोदने लगे अब वो भी दिल खोलकर चूचियों का और चुदाई करने लगा. मैं अहहहहह बहुत मजा आ रहा है जोर जोर से अब चोदो मैं तुम्हारी हो चुकी हु चोदो चोदो मेरे राजा. वो कस कस कर चोदने लगे तब धीरे धीरे दोनों बाँहों में भरकर मैंने अपनी ऊपर खींचा और तेज और तेज मुझे पूरी तरह चुदाई का मजा मिलने लगा.
वो स्पीड बढ़ाते गए और तेज फच फच फच और तेज फच फच फच अह्ह्ह फच फचा फच फच फच. वो तेजी से चोदने लगे पूरा बेड गरमा गरम हो चूका था. उसने कोई शर्म नहीं रखी और अपनी सखी को पूरा मजा देने लगे. मैं एक बार और पानी निकल चुकी थी. पर वो आसमान की उचाई की और मुझे स्वर्गीय सुख देते जा रहे थे.
वो दना दन चोदते रहे और अपने प्यासे लंड की पूरी तरह चोद चोद कर प्यास बुझाने लगे. मैं अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह हाय हाय हाय रे करती फिर झड़ गयी अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह और वो पूरी तरह मेरे पर छा गए और पहली बार अपना वीर्यदान करने लिए बेताब हो गए. मुझे कस कस कर धक्के मारने लगे एक दो तीन चार पांच छह सात एक और लगाए फिर मारा दस बारह धक्के हो गए और झड़ने लगा. अब वो मुझे जोर से लिपट गए कस कर चूचियों को ऊपर आते दबोच लिया.
मैं कराह उठी. हमारा दोनों का मिलन हुआ हमारी सांसे तेज चलने लगी और मैंने दोनों टांगे कस कर कमर से और कस दिया. सखी-सखा एक हो गए मैं जीत गयी आखिर. दोनों बच्चे अभी भी सो रहे थे. फिर वो जगे तो वापस घर के लिए बस में बैठे. तो काफी अँधेरा हो चूका था. पीछे वाली सीट पर कोई नहीं था हमदोनो साथ बैठे और मौका पाते ही मजा लूटने लगे. पुरे सफर के दौरान कोई पीछे नहीं आया मैं ख़ुशी ख़ुशी से पागल हो गयी इस तरह सफर के साथ मेरी मनोकामना भी पूरी हुई.
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